Thursday, February 8, 2024

जो था सर्वर, वो आज राजा है


जो था सर्वर, वो आज राजा है

चारों ओर क्लाउड-क्लाउड छाया है


वही हैं काम, वही परिणाम भी हैं 

बस इक नाम ही नया सा है 


ए-आई है कि है ये जिन्न कोई 

जाने क्या-क्या ग़ज़ब ढाया है 


जो खुद ही कहे कि मैं हूँ ग़लत 

जाने क्यूँ उस पे प्यार आया है 


चलते-चलते ये दुनिया दौड़ रही

जाने क्या है जो न पाया है 


राहुल उपाध्याय । 8 फ़रवरी 2024 । सिएटल 


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