जो था सर्वर, वो आज राजा है
चारों ओर क्लाउड-क्लाउड छाया है
वही हैं काम, वही परिणाम भी हैं
बस इक नाम ही नया सा है
ए-आई है कि है ये जिन्न कोई
जाने क्या-क्या ग़ज़ब ढाया है
जो खुद ही कहे कि मैं हूँ ग़लत
जाने क्यूँ उस पे प्यार आया है
चलते-चलते ये दुनिया दौड़ रही
जाने क्या है जो न पाया है
राहुल उपाध्याय । 8 फ़रवरी 2024 । सिएटल
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