विप्लव दास की मज़ेदार कहानी पर आधारित 'लापता लेडीज़' बहुत ही बढ़िया फ़िल्म है। किरण राव के निर्देशन ने और रवि किशन के अभिनय ने फ़िल्म में चार चाँद लगा दिए हैं। एक अच्छी फ़िल्म में जो सब होना चाहिए वह सब इसमें है। यह फिल्म ऋषि मुखर्जी और श्याम बेनेगल दोनों की याद दिलाती है।
कहानी घिसीपिटी नहीं है। एकदम ताज़गी लिए हुए है। इसमें ऑर्गेनिक फॉर्मिंग भी है और पर्दा प्रथा भी है। सेल फ़ोन भी है और घर में भैंस भी है। और सब सहज रूप से है। कोई मेलोड्रामा नहीं।
सारे किरदार अच्छी तरह से उकेरे गए हैं।
गीत-संगीत ख़ास नहीं है।
फ़िल्म के तीन या तीन से ज़्यादा अंत हो सकते थे। जो अंत दिखाया गया वह असलियत के क़रीब है। जो दिखाना चाहिए था वह आशावादी होता।
खैर। जैसे सारे इंसान एक जैसे नहीं होते। वैसे नारियाँ भी एक जैसी नहीं होती हैं। शायद कुछ नारियों को इस फिल्म से प्रेरणा मिले। जीवन कुछ सुधरे।
राहुल उपाध्याय । 7 मार्च 2024 । सिएटल
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