कली है लेकिन मुरझा रही है
ज़िन्दगी आज उसे तड़पा रही है
जो हँसते-हँसाते बताती थी दुख भी
आज ग़मों को पहाड़ बतला रही है
वो खूँटे से बंध के चाहती थी उड़ना
कहाँ हुई गलती, न समझ पा रही है
बावजूद इसके, व्यवहार कुशल है
कैसा हूँ मैं मुझसे पूछे जा रही है
चरित्र उसका ऐसा कि सदके मैं जाऊँ
शरतचन्द्र की नायिका नज़र आ रही है
राहुल उपाध्याय । 9 मार्च 2024 । सिएटल
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