न आज की, न कल की है
ये बात जाने कब की है
जब तुम न थी, मैं न था
जो भी था, बेनाम था
न इश्क़ था, न रश्क था
न आब था, न खुश्क था
धुआँ-धुँआ सा ख़्वाब था
कहाँ से आ गए ये तत्व
कहाँ से पा गए महत्व
ये ज़िन्दगी, ये मौत क्या
ये जन्म क्या, ये जात क्या
ये सुब्ह क्या, ये रात क्या
ये हाथ क्या, ये साथ क्या
ये जीत क्या, ये मात क्या
ये हुस्न क्या, ये घात क्या
ये प्रश्न क्या, ये बात क्या
राहुल उपाध्याय । 15 मई 2024 । सिएटल
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