जब भी मैं शैम्पू करता हूँ
पाउच से नहीं
बोतल से
बहुत ख़ुशी होती है
ज़मीन से जुड़े होने का
यही फ़ायदा है
हर दिन ख़ुशियों से भरा होता है
कभी लोटा लेकर
खुले मैदान में जाता था
आज पाश्चात्य शैली के शौच में
गद्गद हो जाता हूँ
गर्मी में जब करोड़ों झुलस रहे हैं
मैं शिमला जैसी शीत बयार
सिएटल में पा कर
आनन्दित हो उठता हूँ
मैं खुशकिस्मत हूँ कि
मैं गरीब पैदा हुआ
राहुल उपाध्याय । 31 मई 2024 । सिएटल
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