Tuesday, October 13, 2020

चुपके-चुपके रात-दिन

https://youtu.be/8CzcTsFzxpU 


चुपके-चुपके रात-दिन 

व्हाट्सेप पे आना याद है 

हमको अब तक आपका

इमोजी में शर्माना याद है 


सोमवार को लंच पे

या बुध को आधी रात में

आपके नोटिफिकेशन का

धड़धड़ टिंग-टिंगाना याद है 


छेड़ देना वो मेरा

माज़ी का क़िस्सा बेसबब 

और आपका बेपरवाह 

उलझ जाना याद है 


होली-दीवाली हो या 

हो कोई तीज-त्योहार 

वो आपका मुझको 

दुआओं में लाना याद है 


वो आपकी टाईपिंग के जलवे 

और मेरी लड़खड़ाहट

मैं कहूँ कुछ उससे पहले

दूसरा दागना याद है 


घंटों-घंटों बात हो

और घड़ी झूठ लगने लगे

घड़ी-घड़ी बाय-बाय

कह के न काटना याद है 


कुछ मिनट ही हैं गुज़रे 

हमें तुमसे सब कहे

और कितना कुछ हुआ

वो सब बताना याद है


राहुल उपाध्याय । 18 सितम्बर 2020 । सिएटल 

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें