तेरी बातों के सिवा चुनाव में रखा क्या है
तू बके सुबह-सुबह, तू बके शाम ढले
तेरा बकना मेरा पकना यूँही प्रचार चले
क़समों की रस्मों में वादे हज़ारों हैं लिखे हुए
हैं मेरे ख्वाबों के क्या-क्या नगर इनमें ढहते हुए
इनमें मेरे आनेवाले ज़माने की तस्वीर है
सियासत की कालिख से लिखी हुई मेरी तक़दीर है
(मजरूह से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 28 अक्टूबर 2020 । सिएटल
--
0 comments:
Post a Comment