मुझको इस रोग की तन्हाई से आज़ाद करो
जिससे कुछ बदले ही नहीं वो चुनाव न दो
रोशनी हो न सकी दिल भी जलाया मैंने
डॉक्टर आया ही नहीं लाख बुलाया मैंने
मैं परेशां हूँ मुझे और परेशां न करो
किस कदर जल्द किया मुझसे किनारा तुमने
कोई भटकेगा अकेला ये न सोचा तुमने
छुप गए हो तो मुझे याद ही आया न करो
(शमीम जयपुरी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 22 अक्टूबर 2020 । सिएटल
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