कहाँ से दर्द भरे दिन यहाँ उतर आए
बिना मास्क के माशूक़ ना नज़र आए
ख़ुशी की चाह में मैंने उठाये रंज बड़े
मेरा नसीब कि मेरे क़दम जहाँ भी पड़े
महामारी की वहाँ से भी खबर आए
उदास रात है वीरान दिल की महफ़िल है
न हमसफ़र है कोई और न कोई मंज़िल है
दवाओं का न दुआओं का कोई असर आए
(आनंद बक्षी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 30 अक्टूबर 2020 । सिएटल
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