Saturday, October 3, 2020

संज्ञा-सर्वनाम

मैं कौन हूँ? मैं क्या हूँ?

किस संज्ञा-सर्वनाम में खो अपनी पहचान दूँ?


जब ध्वनि नहीं, ध्यान था

तब भी मैं विद्यमान था

अब अनगिनत रंग हैं 

अनगिनत रूप हैं 

इस अक्स को क्यों कोई निरर्थक नाम दूँ?


मैं सूक्ष्म हूँ, विशाल हूँ 

मैं धरती हूँ, आकाश हूँ 

मैं प्रकट में हूँ, नेपथ्य में हूँ 

मैं सत्य में हूँ, असत्य में हूँ 

इस अनंत को क्यों कोई संकुचित नाम दूँ?


मैं कल हूँ, मैं आज हूँ

मैं ज्ञात हूँ, मैं राज़ हूँ 

मैं पंख हूँ, मैं परवाज़ हूँ 

न अंत हूँ, न आग़ाज़ हूँ 

किसी सीमा में इसे क्यों बाँध दूँ?


मैं कौन हूँ? मैं क्या हूँ?

किसी संज्ञा-सर्वनाम में क्यों खो अपनी पहचान दूँ?


राहुल उपाध्याय । 3 अक्टूबर 2020 । सिएटल 


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