किसका जश्न मनाया जाता है
किसका स्मृति दिवस होता है
सब सत्ता पर निर्भर होता है
एक लौहपुरुष, एक दुर्गा-तुल्य
सब समर्थकों के जुमले हैं
इंसानों में इनकी गिनती कहाँ
ये विचारधाराओं के पुतले हैं
एक जन्मे, एक मरीं
हज़ारों एक ही दिन कत्ल हुए
जिन्हें चाहा याद किया
जिन्हें चाहा भूल गए
है इतिहासकारों में खोट कहाँ
जब हम ही बावले बनते हैं
अपने ही जीवनकाल की घटनाएँ
जब चुन-चुनकर हम भूलते हैं
राहुल उपाध्याय । 31 अक्टूबर 2020 । सिएटल
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