उल्टा सीधा एक समान #16
—————————
मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं।
यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:
नाहक है कहना।
दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है।
आज का शब्द है:
लोन
(यह अंग्रेज़ी का शब्द है। लेकिन हिन्दी में भी प्रचलित है।)
राहुल उपाध्याय । 24 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Friday, December 31, 2021
Re: उल्टा सीधा एक समान #16
Posted by Rahul Upadhyaya at 7:08 AM
आपका क्या कहना है??
सबसे पहली टिप्पणी आप दें!
Labels: ulta, उल्टा सीधा एक समान
उल्टा सीधा एक समान #17
उल्टा सीधा एक समान #17
—————————
मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं।
यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:
नाहक है कहना।
दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है।
आज का शब्द है:
नमक
(यह अंग्रेज़ी का शब्द है। लेकिन हिन्दी में भी प्रचलित है।)
राहुल उपाध्याय । 31 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Tuesday, December 28, 2021
कहाँ हम अपना, अपना ही सोचते हैं
प्रात: विश्व कल्याण का
सबके कल्याण का
हम रोज़ सोचते हैं
भला ही सोचते हैं
न वेद, न गुरू, कभी
अनर्थ बोलते हैं
कहाँ हम अपना
अपना ही सोचते है
समर हो कभी कोई तो
हम छक्के छुड़ा दें
ताकत बड़ी,
शक्ति बड़ी
हम सबको बता दें
हिमालय से भी ऊँचा
है शौर्य हमारा
कभी फिर ना कहे कोई
ये यूँही बोलते हैं
मतलब नहीं कोई हमें
जहां के कलह से
अपने ही जहां में
हैं हम गंतव्य खोजते
हम अपने इरादों को
कभी ना भूलते
इक यही तो हैं जिनसे
हम ख़ुद को तोलते हैं
जब से हुआ है
यहाँ जन्म हमारा
तब से रहा यही
विश्वास हमारा
जीओ और जीने दो
यही हैं सोचते
और यही है सच भी
यही सच बोलते हैं
राहुल उपाध्याय । 27 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Monday, December 27, 2021
जो भी है सच नहीं दर्पण है
पा के भी पाए ना तू
खो के भी खोए ना तू
जो भी है सच नहीं दर्पण है
आएँगें यादों में
जाए न जाएँगे
हर पल सताएँगे
तुमको लुभाएँगे
जग जिनने छोड़ा है
तुमको बुलाएँगे
तुमको जगाएँगे
तुमको सुलाएँगे
लाख चाहे सोच ले
न समझा कोई न
समझे आज तू
हर पल जो आता है
हमको बताता है
आना और जाना ही
हमको बस आता है
बाक़ी जो होता है
वो एक फ़साना है
उसमें उलझ कर भी
सबको तो जाना है
लाख चाहे सोच ले
न समझा कोई न
समझे आज तू
जल्दी क्या, देरी क्या,
हर पल बराबर है
इंसां क्या, सृष्टि क्या,
हर जीव बराबर है
ज़िन्दा क्या, मुर्दा क्या,
आत्मा का सागर है
मरता न मरता है,
रहता यहाँ पर है
लाख चाहे सोच ले
न समझा कोई न
समझे आज तू
राहुल उपाध्याय । 27 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Sunday, December 26, 2021
अपना करम
कई महीनों से
कई हफ़्तों से
मैं आँक रहा था
अपना करम
पाया के अभी कुछ किया ही नहीं
वादों में कहीं
यादों में कहीं
कहीं झांक रही थी
कोई पगली
कुछ देर हुई
न मैं समझ पाया
फिर आँख खुली
तो थी माया
अपनों को बहुत
अपना समझा
उनके ही इशारों
पर नाचा
अब आज कहाँ
मैं गुर सीखूँ
और छोड़ चलूँ
अपनी छाया
राहुल उपाध्याय । 26 दिसम्बर 2021 । सिएटल
इतवारी पहेली: 2021/12/26
इतवारी पहेली:
कौन है राजा, कौन # ##
सब हैं बन्दे, नहीं ###
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 26 दिसम्बर को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 19 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Re: इतवारी पहेली: 2021/12/19
इतवारी पहेली:
यह जन्म, फल पिछले #%# # #
अब जो कर सकता है ## ## #
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 19 दिसम्बर को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 19 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Friday, December 24, 2021
उल्टा सीधा एक समान #16
उल्टा सीधा एक समान #16
—————————
मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं।
यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:
नाहक है कहना।
दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है।
आज का शब्द है:
लोन
(यह अंग्रेज़ी का शब्द है। लेकिन हिन्दी में भी प्रचलित है।)
राहुल उपाध्याय । 24 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Re: उल्टा सीधा एक समान #15
उल्टा सीधा एक समान #15
—————————
मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं।
यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:
नाहक है कहना।
दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है।
आज का शब्द है:
हार
यह शब्द है अंग्रेज़ी का पर प्रचलित है सो अपना सा ही लगता है।
राहुल उपाध्याय । 17 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 1:45 PM
आपका क्या कहना है??
सबसे पहली टिप्पणी आप दें!
Labels: ulta, उल्टा सीधा एक समान
Saturday, December 18, 2021
इतवारी पहेली: 2021/12/19
इतवारी पहेली:
यह जन्म, फल पिछले #%# # #
अब जो कर सकता है ## ## #
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 19 दिसम्बर को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 19 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Re: इतवारी पहेली: 2021/12/12
इतवारी पहेली:
पीने-पिलाने की चीज़ है, नहीं है ## ## #
तलब होती है क्यों तलबगारों को #### #
इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर।
जैसे कि:
हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की
ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं।
Https://tinyurl.com/RahulPaheliya
आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं।
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 12 दिसम्बर को - उत्तर बता दूँगा।
राहुल उपाध्याय । 5 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Thursday, December 16, 2021
उल्टा सीधा एक समान #15
उल्टा सीधा एक समान #15
—————————
मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं।
यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:
नाहक है कहना।
दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है।
आज का शब्द है:
हार
यह शब्द है अंग्रेज़ी का पर प्रचलित है सो अपना सा ही लगता है।
राहुल उपाध्याय । 17 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Re: उल्टा सीधा एक समान #14
उल्टा सीधा एक समान #14
—————————
मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं।
यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:
नाहक है कहना।
दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है।
आज का शब्द है:
लकी
यह शब्द है अंग्रेज़ी का पर प्रचलित है सो अपना सा ही लगता है।
राहुल उपाध्याय । 10 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 8:15 PM
आपका क्या कहना है??
सबसे पहली टिप्पणी आप दें!
Labels: ulta, उल्टा सीधा एक समान
Wednesday, December 15, 2021
दुनिया की हर कहानी
दुनिया की हर कहानी
मेरी कहानी है
मेरी ज़िन्दगानी है
मैं हर प्रेमकहानी में हूँ
मैं हर रामायण
हर महाभारत में हूँ
बस अंत
कैसा होगा
कैसे होगा
किस पन्ने पर
कब होगा
अज्ञात है
दुनिया के हर गीत में
मेरी आपबीती है
कलम किसी की
धुन किसी की
गायकी किसी की
बात सौ फ़ीसदी मेरी
कोई भी नई रचना
नई नहीं है
वो सौ दफ़ा
लिखी जा चुकी है
गाई जा चुकी है
सुनी जा चुकी है
पढ़ी जा चुकी है
जीयी जा चुकी है
राहुल उपाध्याय । 15 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Tuesday, December 14, 2021
चिराग़ भी ढूँढता है अंधेरा
चिराग़ भी ढूँढता है अंधेरा
अपने वजूद के लिए
संकट न हो तो
अस्तित्व ही नहीं
किसी का किसी के लिए
दाना-पानी ही ज़रूरी होता
तो हम पेड़ होते
कभी हरे, कभी ख़ाली,
तो कभी पीले होते
न चलते, न उड़ते
एक ही जगह से चिपके रहते
न मिलते, न जुलते
बस सूरज तकते
बारिश पीते
कहीं आग लगे
तो कुछ बात बने
कहीं गाज गिरे
तो मदद करें
कोई झगड़ा हो
तो बीच-बचाव करें
किसी के दिल पे हाथ रखें
दिल से दिल की बात कहें
कुछ टूटे-फूटे
तो कुछ काम मिले
संकट नहीं
तो कुछ भी नहीं
चाहे
नेता हो
देवता हो
या कोई भी
राहुल उपाध्याय । 14 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 7:03 PM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Monday, December 13, 2021
सबका साथ, सबका विकास
सरकार
जब भेदभाव करने लगे
पक्षपात करने लगे
संविधान को भूल
किसी एक पर
ज़्यादा ध्यान देने लगे
तो दुख तो होता ही है
साथ ही डर भी लगता है
कि कहीं दूसरे जो आज
आहत हो रहे हैं
कल बराबरी पर उतर आए तो?
हर देश की संस्कृति का
जहाँ सम्मान होता है
समारोह होते हैं
खान-पान-वेशभूषा की
प्रदर्शनी लगती है
वहाँ नेपाल की हो तो स्वागत है
दूसरे पड़ोसी की हो
तो आग लग जाती है
सब एक जैसा ही सोचें
यह कैसी ज़िद है?
सबका साथ
सबका विकास
महज़ जुमला है
राहुल उपाध्याय । 13 दिसम्बर 2021 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 10:37 PM
आपका क्या कहना है??
1 पाठक ने टिप्पणी देने के लिए यहां क्लिक किया है। आप भी टिप्पणी दें।
Sunday, December 12, 2021
देख के फ़ोटो मन मुरझाए
देख के फ़ोटो मन मुरझाए
मुझसे जुदा तू कैसे मुस्काए
मासूम चेहरा देखा न जाए
टप-टप बरसी आँखें, आँखें सूज गईं
बाक़ी थी जो साँसें, साँसें टूट गईं
जीऊँ क्यूँ ऐसे नयन बहाए
आधी-अधूरी बातें, बातें रह गईं
लम्बी-लम्बी रातें, रातें रह गईं
फ़ोन न आए चैन जो लाए
हाथ न छोड़ा साथ ही सारा छोड़ दिया
प्यार न समझा, प्यार भरा दिल तोड़ दिया
घाव विरह के बढ़ते जाएँ
राहुल उपाध्याय । 12 दिसम्बर 2021 । सिएटल