कुछ गिरा
कुछ टूटा
कुछ जला
बहुत कुछ ख़त्म हुआ
सीमा पर शहीद होते तो
दुःख के साथ जोश भी होता
अब
सिर्फ़ दु:ख ही दु:ख
सिर्फ़ आँसू ही आँसू
नमन ही नमन
इंसान नश्वर है
कब, क्या हो जाए
कह नहीं सकते
एक पल ठीक है
अगले पल ढेर
मशीन?
मशीन तो अमर है
इससे ऐसी उम्मीद नहीं थी
इंसान जाता है
तो अकेले जाता है
मशीन गई
तो 13 को साथ ले गई
कई लोग
बस कहते रह जाते हैं
जिएँगे साथ, मरेंगे साथ
मधुलिका
बहुत भाग्यशाली थीं
राहुल उपाध्याय । 8 दिसम्बर 2021 । सिएटल
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