Monday, December 27, 2021

जो भी है सच नहीं दर्पण है

https://youtu.be/yS-xjgAj5rk


पा के भी पाए ना तू

खो के भी खोए ना तू

जो भी है सच नहीं दर्पण है


आएँगें यादों में

जाए न जाएँगे

हर पल सताएँगे

तुमको लुभाएँगे

जग जिनने छोड़ा है 

तुमको बुलाएँगे

तुमको जगाएँगे

तुमको सुलाएँगे 

लाख चाहे सोच ले

न समझा कोई न 

समझे आज तू 


हर पल जो आता है

हमको बताता है 

आना और जाना ही 

हमको बस आता है 

बाक़ी जो होता है 

वो एक फ़साना है

उसमें उलझ कर भी 

सबको तो जाना है

लाख चाहे सोच ले 

न समझा कोई न 

समझे आज तू 


जल्दी क्या, देरी क्या,

हर पल बराबर है 

इंसां क्या, सृष्टि क्या, 

हर जीव बराबर है 

ज़िन्दा क्या, मुर्दा क्या, 

आत्मा का सागर है 

मरता न मरता है, 

रहता यहाँ पर है 

लाख चाहे सोच ले 

न समझा कोई न 

समझे आज तू 


राहुल उपाध्याय । 27 दिसम्बर 2021 । सिएटल 


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