सरकार
जब भेदभाव करने लगे
पक्षपात करने लगे
संविधान को भूल
किसी एक पर
ज़्यादा ध्यान देने लगे
तो दुख तो होता ही है
साथ ही डर भी लगता है
कि कहीं दूसरे जो आज
आहत हो रहे हैं
कल बराबरी पर उतर आए तो?
हर देश की संस्कृति का
जहाँ सम्मान होता है
समारोह होते हैं
खान-पान-वेशभूषा की
प्रदर्शनी लगती है
वहाँ नेपाल की हो तो स्वागत है
दूसरे पड़ोसी की हो
तो आग लग जाती है
सब एक जैसा ही सोचें
यह कैसी ज़िद है?
सबका साथ
सबका विकास
महज़ जुमला है
राहुल उपाध्याय । 13 दिसम्बर 2021 । सिएटल
1 comments:
सटीक
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