Tuesday, September 28, 2021

है इश्क़ यही

है इश्क़ यही

इसमें दो राय नहीं 


वह इश्क़ नहीं 

जिसमें संघर्ष न हो 

वह प्यार नहीं 

जिसमें दर्द न हो

वह प्रेम नहीं 

जिसका विरोध न हो

वह समाज नहीं 

जो दुश्मन ही न हो


तुम प्रेम करो

और धड़कन न बढ़े 

तुम प्यार करो

और आँसू न बहें 

ऐसे प्यार का

कोई स्वाद नहीं 

ऐसे प्यार की

कोई उम्र नहीं 


तुम प्यार करो

खुलेआम करो

कोई रोक नहीं 

बेलगाम करो

वह इश्क़ नहीं 

सुबह-शाम है वो

आए-जाए कोई 

ध्यान न दे


है इश्क़ वही

जो हमने किया

डर-डर के किया

और दिल से किया


है इश्क़ यही

इसमें दो राय नहीं 


राहुल उपाध्याय । 29 सितम्बर 2021 । सिएटल 




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1 comments:

Manisha Goswami said...

वाह! क्या बात कही है बहुत ही बेहतरीन