है इश्क़ यही
इसमें दो राय नहीं
वह इश्क़ नहीं
जिसमें संघर्ष न हो
वह प्यार नहीं
जिसमें दर्द न हो
वह प्रेम नहीं
जिसका विरोध न हो
वह समाज नहीं
जो दुश्मन ही न हो
तुम प्रेम करो
और धड़कन न बढ़े
तुम प्यार करो
और आँसू न बहें
ऐसे प्यार का
कोई स्वाद नहीं
ऐसे प्यार की
कोई उम्र नहीं
तुम प्यार करो
खुलेआम करो
कोई रोक नहीं
बेलगाम करो
वह इश्क़ नहीं
सुबह-शाम है वो
आए-जाए कोई
ध्यान न दे
है इश्क़ वही
जो हमने किया
डर-डर के किया
और दिल से किया
है इश्क़ यही
इसमें दो राय नहीं
राहुल उपाध्याय । 29 सितम्बर 2021 । सिएटल
1 comments:
वाह! क्या बात कही है बहुत ही बेहतरीन
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