ख़ुद की आवाज़ भी सुन
औरों के झाँसे में न आ
पूरे सपने तेरे तू कर
मिटाने पे न आ
अपने हाथों से तू तेरी क़िस्मत लिख ले
तेरे हालात की औक़ात नहीं
बदतर लिख दे
वक्त बदलेगा कभी
ऐसे दिलासे में न आ
जब कभी हारेगा, टूटेगा, दगा पाएगा
बल तेरा तुझको ही तब ख़ुद
सहारा देगा
कुछ भी आसान नहीं
ऐसे छलावे में न आ
झूठे वादों, सहारों की ज़रूरत किसको
पूछे जो तबियत तेरी है फ़ुरसत किसको
जो भी है आज है
कल के भुलावे में न आ
राहुल उपाध्याय । 5 सितम्बर 2021 । सिएटल
1 comments:
Very nice
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