ये दुनिया हसीं थी
ये दुनिया हसीं है
जिस दिन से समझा
बहुत दिलनशीं है
समाँ जो भी था
वो अब भी यहीं है
दिल देनेवाले
अब भी यहीं है
मिट के भी मिटता
कुछ भी नहीं है
जो भी चाहे सुन लो
दिल के फ़साने
धड़कन वही हैं
वही हैं तराने
मोहब्बत की रंगत
वही की वही है
अपना लो सबको
घबराना छोड़ो
न ठुकराओ आँचल
न राहें ही मोड़ो
ज़माना है जैसा
बहुत ही सही है
राहुल उपाध्याय । 8 सितम्बर 2021 । सिएटल
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