दिनकर उगे या ना उगे
जीवन तो जी जाएँगे
वो आग दिल में लगा ली है
के रोशन हम हो जाएँगे
तम हट जाएगा
सब छँट जाएगा
छोटे से दिल में हैं
सम्भावनाएँ अनेक
जो चाहें हो जाए
'गर हम लगाए विवेक
सब हो जाएगा
सब मिल जाएगा
दिन ही नहीं हम
रातों को भी महकाए
गिर भी पड़े तो
गिर के हम सम्भल जाए
कुछ खो जाएगा
कुछ मिल जाएगा
राहुल उपाध्याय । 2 सितम्बर 2021 । सिएटल
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