Thursday, September 30, 2021

तुम थी

तुम थी

मेरे जीवन में

यह मेरे जीवन की उपलब्धि है 


तुम नहीं हो

इसका मुझे ग़म है


यह ग़म 

मेरी खुशियों को कम नहीं कर सकता

कि तुम थी

मेरी बाहों में

पनाहों में 

मेरा चेहरा था

तुम्हारी ज़ुल्फ़ों के

सायों में 


दुनिया का कोई ग़म 

इस ख़ुशी को कम नहीं कर सकता 


हर चीज़ 

हर वक्त 

अपने नियंत्रण में हो

क़ाबू में हो

अपने हाथ में हो

यह मोहब्बत नहीं 

तानाशाही है


और यह भी नहीं कि

तुम मुझे अब नहीं चाहती

या किसी और को चाहती हो


बस कठपुतली हो किसी के हाथों में


तुम स्वयं 

अपनी शक्ति का स्रोत हो

तुम्हें स्वयं 

इन अदृश्य सलाख़ों को काटना है

तुम्हें स्वयं

इन अदृश्य ज़ंजीरों को खोलना है


तुम जब चाहोगी तब

तुम जहाँ चाहोगी वहाँ 

मैं मिलूँगा तुमसे

मेरा वादा है तुमसे


बस अपनी शक्ति साथ लाना


राहुल उपाध्याय । 1 अक्टूबर 2021 । रतलाम 


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