मैंने यूट्यूब से
अपनी सर्च हिस्ट्री
डीलिट कर दी है
अब इसे कुछ नहीं पता
मैंने कल क्या देखा
मैं क्या देख रहा हूँ
यह भी नहीं पता
इतिहास
का न होना
दिक्कत भी है
और सुविधा भी
इस उम्र में
दिक्कत कम है
सुविधा ज़्यादा है
मुझे ख़ुद याद नहीं रहता
तो ये क्यूँ याद रखे कि
कब किसने किसको
थप्पड़ मार दिया था
कब किससे किसकी
बातचीत बंद हो गई थी
कब किसने किसको
खदेड़ दिया था
कब किसने सब कुछ देख कर भी
अनदेखा कर दिया था
अब बस मैं हूँ
और मेरा प्राम्प्ट
जो देखना चाहता हूँ
दिखाता है
कोई यूक्रेन का वॉर नहीं
लल्नटॉप की बहार नहीं
जावेद की गुफ्तगू नहीं
गुलज़ार के नगमे नहीं
जो देखना चाहता हूँ
दिखाता है
और साथ में कुछ
रेण्डम कड़ियाँ
जो ले जाती हैं मुझे
एक नये संसार में
राहुल उपाध्याय । 28 जनवरी 2023 । सिएटल