Friday, January 6, 2023

आज अज्ञेय होते


आज अज्ञेय होते

तो व्हाट्सएप पर जूझ रहे होते

कुमार विश्वास और मोदी के बीच

कुढ़ रहे होते

न नाव होती, न द्वीप होते

कोई भड़काऊ विषय 

ढूँढ रहे होते


जैसे मनोज मुड़े 

वे भी मुड़ गए होते

देश भक्ति को 

ओढ़ रहे होते

कभी बांग्लादेशी

तो कभी किसी अमुक का

विरोध कर रहे होते

मेरा भारत महान के

क़सीदे पढ़ रहे होते


मातृ-दिवस पर 

मुस्करा कर आँख भिगो रहे होते

किसी शहीद दिवस पर

माखनलाल चतुर्वेदी को भी 

मात दे रहे होते

दशहरे पर 

रावण के नए प्रतीक

बता रहे होते

हमें क्या नहीं पढ़ाया गया

हमसे क्या छुपाया गया

सब बता रहे होते


शिवा ट्रिलोजी

या टू स्टेट्स 

लिख रहे होते


आज अज्ञेय होते

तो यूट्यूबर होते 

उनकी एक टीम होती

दस कैमरे होते

हर एंगल से उनको

देख रहे होते

उनके फ़ार्महाउस पर

उनके आगे-पीछे घूमते

कभी गाय की सेहत

तो कभी बाजरे की रोटी की

बात कर रहे होते

कभी बड़ा माइक्रोफ़ोन होता

तो कभी ठुड्डी के नीचे छोटा सा

बटन सा टिका होता

कविता सुनाते-सुनाते बीच में

लाईक/सब्सक्राइब/कमेंट का आदेश 

स्क्रोल कर रहा होता


आज अज्ञेय होते

तो नाम कमाने के लिए 

कितने खटकर्म कर रहे होते


राहुल उपाध्याय । 7 जनवरी 2023 । माधवपुर (गुजरात)

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