क्या दूँ तुम्हें
क्या मैं नहीं
दिन भर यही सोचता हूँ
कभी सोचूँ ये लूँ
कभी सोचूँ वो दूँ
क्या दूँ तुम्हें सोचता हूँ
सोचा है तुम्हें कोई साड़ी दिलाए
पार्क में जा के कोई पिकनिक मनाए
घर पे बैठे कानों में बाली पहनाए
हाथ के कंगन और झूमके भी लाए
हाय रे ना ना, हाय रे ना ना
ये ना देना
कार्ड दे दूँ तुम्हें जो चाहे ले लो
अपनी पसन्द का कोई सामान ले लो
ख़्वाब भी होंगे तुम्हारे अपने सुहाने
ख़्वाब पूरे करो जो चाहे ले लो
हाय रे ना ना, हाय रे ना ना
ये ना देना,
राहुल उपाध्याय । 4 जनवरी 2023 । छायापुरी
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