तुम्हारी तस्वीर दिखा कर
पूछने लगी
बहुत मिस करते हो उसे?
कह दिया कि
तुम हवा हो
न दिखो तो भी सदा साथ हो
तुम हो
तो मैं हूँ
-*-*-*-
तुम तो जानती ही हो
(इश्क़ और मुश्क कभी छुपाए छुपे हैं?)
मुझे
तुमसे, उससे, सबसे
प्यार है
और यह
एकतरफ़ा प्यार नहीं है
दरअसल
प्यार एकतरफ़ा हो ही नहीं सकता
-*-*-*-
उसने सोचा
तुम्हारी तस्वीर दिखा कर
वो मेरा भला कर रही है
कह नहीं सकता
कितना दुख हुआ मुझे
तुम्हें खुश देख कर
मैं तो सोचता था कि हम
ताउम्र उदास रहेंगे
तुम लैला सी उदास
मैं मजनूँ सा बदहवास
बाल बढ़ाए, दाढ़ी बढ़ाए
सहराओं में भटकता रहूँगा
मगर ये हो न सका
और अब ये आलम है कि
तुम सजती हो, सँवरती हो, निखरती हो
और मैं ठहाके लगाता हूँ
एक पागलपन की हद तक
खुश नज़र आता हूँ
-*-*-*-
मैं तो शुरू से ही जानता था कि
तुम मेरी नहीं हो सकती
और इसीलिए मैंने तुमसे
कभी कुछ कहा नहीं
लेकिन तुम सब समझ गई
(इश्क़ और मुश्क कभी छुपाए छुपे हैं?)
तुम क्या, सब समझ गए
(इश्क़ और मुश्क कभी छुपाए छुपे हैं?)
तुम वीरांगना निकली
प्यार किया तो डरना क्या वाले मोड में आ गई
तुम और क़रीब आई
और इतना, इतना, इतना प्यार दिया कि
इस जन्म में
बता पाना मुश्किल है
लेकिन समय बदलते क्या देर लगती हैं
तुमने भी हथियार डाल दिए
अब तुम हो
उस तरफ़
और मैं
इस तरफ़
और ये दीवार जो हम दोनों के बीच है
ये कब तक रहेगी, नहीं जानता
प्रयास तुम्हें ही करना होगा
मुझे तो दिखती ही नहीं
राहुल उपाध्याय । 11 जनवरी 2023 ।
2 comments:
बहुत प्यारी और संवेदना से भरी रचना। अक्सर प्रेम को मैंने भी ऐसा ही देखा है।
प्रेम को एक खुशबू जैसा मैंने जाना है
जब आती है घेर लेने का हक जताती है
किसी दूसरे को सुपात्र या ज़रूरतमन्द समझे
तो जाने में देर नहीं लगती ।
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