कोई ये कैसे बताए कि
वो इतना प्यारा क्यूँ है?
क्या है मुझमें कि वो
मुझको बुलाता क्यूँ है?
है वो बुलाता तो
फिर डर जाता क्यूँ है?
यही दुनिया है तो फिर
ऐसी ये दुनिया क्यूँ है?
हाँ ये माना कि चाह के भी
न मिल पाना है दुखकर
किसी से मिल के बिछड़ने का
दुख ज़्यादा क्यूँ है?
वो जो मिलता है तो
मिलता है गले लगकर
वो जब जाता है तो
हाथ हिलाता क्यूँ है?
देकर इक नींद में
सपन-सलोना वो
जगाता क्यूँ हैं?
आग को आग
दिखाकर वो
हटाता क्यूँ है?
मीठा इक दर्द
जगाकर वो
सताता क्यूँ है?
है वो दिल में तो
दिल में क्यूँ है?
बुफे में पेट भर खा के भी
भूख लग जाती क्यूँ है?
यही होता है तो
आख़िर यही होता क्यूँ है?
राहुल उपाध्याय । 3 जनवरी 2022 । कानपुर
1 comments:
सुन्दर शुभकामनाएं नववर्ष पर
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