Thursday, August 31, 2023

इंसान

मुझे ख़बरें वही पसन्द हैं

जिनमें कोई तारीख़ नहीं होती है

जैसे कि 

इस गाँव के लोग अपनी गलियाँ साफ़ रखते हैं 

इस माँ के बारह बच्चे हैं

ये कुत्ता दो साल तक गुम होने के बाद भी अपने घर पहुँच गया

भरती की होती हैं 

लेकिन कभी बासी नहीं होतीं


मुझे पौधे वही पसन्द हैँ

जो स्वयं भू हैं

कोई माली नहीं 

कोई सेवा-सुश्रुषा नहीं 

आते रहते हैं 

जाते रहते हैं 


मुझे गीत वही पसन्द हैं


मुझे शहर वही पसन्द हैं


मुझे विषय वही पसन्द हैं 


मुझे इंसान वही पसन्द हैं

नहीं, नहीं 

ऐसा कैसे?

मुझे इंसान सभी पसन्द हैं


(चाहे सच न भी हो, लिखना तो पड़ता है)


राहुल उपाध्याय । 31 अगस्त 2023 । ऑस्टिन



Tuesday, August 29, 2023

चाँद के पास जो उतारा है

चाँद के पास जो उतारा है 

वो हमारा भी कुछ लगता है 

सुबह हो शाम हो पहर कोई 

सदा ही ध्यान उसका रहता है 


जबसे आँखों से हो गया ओझल

मन में क्या-क्या ख़याल आते हैं 

जाने किस हाल में वो होगा अब

मन में डर सा ही लगा रहता है 


भेजा था सोच के समझ के ही

खोजेगा बातें कुछ नई कोई 

फिर भी ये दिल तो मेरा दिल ही है

बिना ही बात कल से डरता है 


आता-जाता भी तो नहीं कोई 

जिसके हाथों मैं भेज दूँ लड्डू 

सुना है रात-दिन जग-जग के

घंटों-घंटों वो काम करता है 


राहुल उपाध्याय । 29 अगस्त 2023 । ऑस्टिन 

बिन प्रजा का राजा

तेरे दर से उठ कर किधर जाऊँ मैं

गई बैटरी दो पग न धर पाऊँ मैं


जन्मा था जिसने, पाला था जिसने

बिछड़ कर उससे न रह पाऊँ मैं


निकला था गर्व से, उत्साह से

यहाँ आ के दिन-रात पछताऊँ मैं


आँखों में सबकी भरा प्यार था

दुत्कारा नहीं, ख़ुद को समझाऊँ मैं


न गाँव, न गली, न मोहल्ला है कोई 

बिन प्रजा का राजा मुरझाऊँ मैं


राहुल उपाध्याय । 29 अगस्त 2023 । सिएटल 

Monday, August 28, 2023

चाँद पर जाकर के हमने

चाँद पर जाकर के हमने 

चाँद से नाता जोड़ लिया

इसरो की इस उपलब्धि ने 

हम सबको सबसे जोड़ दिया 


सबने सबको बात बताई 

समझो आज सितारों को

बच्चों ने हुंकार लगाई

छोड़ो आज प्रथाओं को

सदियों से जो होता आया

होगा अब न आगे भी

बचपन से जिसे सुनते आए

उस कथा को मोड़ दिया 


बरसों से हम पूजते आए

एक उपग्रह को गलती से 

आज सच्चाई समझ में आई

देख के चाँद को टीवी पे

ये तो घूमता पृथ्वी जैसा

खुद का प्रकाश भी पास नहीं 

सदियों से था जिससे देखा

उस चश्मे को तोड़ दिया 


राहुल उपाध्याय । 28 अगस्त 2023 । ऑस्टिन 



Sunday, August 27, 2023

मैं तुम्हारा अपना खून होता

मैं तुम्हारा अपना खून होता 

तो तुम कभी ऐसा नहीं करते

तुम इतने निर्दयी हो सकते हो

यह मैं सोच भी नहीं सकता था


तुमने इतना भी नहीं सोचा कि

मैं वापस कैसे आऊँगा?


अनन्त काल तक यहाँ सड़ने के लिए छोड़ दिया 

किससे बात करूँ?

और तो और यहाँ मैं चीख तक नहीं सकता


जब तक मेरा एक दिन गुजरेगा

तब तक तुम पन्द्रह नींद निकाल चुके होगे


जब मैं यहाँ उतर रहा था तब

सब टकटकी बाँधे देख रहे थे

कहीं मुझे चोट न आ जाए

हाथ जोड़ रहे थे 

प्रार्थना कर रहे थे

कहीं मैं ध्वस्त न हो जाऊँ 

इसलिए नहीं कि

उन्हें मेरी चिंता थी

उन्हें चिन्ता थी

अपनी सफलता की

अपनी इज़्ज़त की


मैं सोच भी नहीं सकता था कि

तुम मुझे इतनी दूर फेंक कर

इतने नीचे गिर जाओगे 


हाड़-मांस के पुतले के अवशेष भी

तुम दूर-दराज़ से लाते हो

उन्हें उचित सम्मान देते हो

अस्थि विसर्जन करते हो

मेरा क्या होगा

कभी सोचा?

कोई मुझे बटोरने आएगा?

क्या मैं इतना अभागा हूँ?


राहुल उपाध्याय । 28 अगस्त 2023 । ऑस्टिन 






Saturday, August 26, 2023

इतवारी पहेली: 2023/08/27


इतवारी पहेली:


चन्द्रयान-विक्रम आदि हैं प्रोडक्ट ### #

हैं सबके, न उस 'रो' के, न ## # #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 3 सितम्बर 2023 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 27 अगस्त 2023 । सिएटल 




Re: इतवारी पहेली: 2023/08/20



On Sun, Aug 20, 2023 at 1:30 AM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


मरूस्थल में बरसे ## #

गुलज़ार की बेटी है ###


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 27 अगस्त 2023 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 20 अगस्त 2023 । सिएटल 




Thursday, August 24, 2023

कल चाँद कुछ भारी हुआ

कल चाँद कुछ भारी हुआ 

धरती कुछ हल्की 

पर दोनों ने यह नहीं सोचा कि

बोझ बढ़ गया 

या हल्का हुआ 


प्रेम-प्यार का इज़हार ऐसे ही होता है 

लेन-देन चलता रहता है 


सूरज बुजुर्ग है

बस देता रहता है 


राहुल उपाध्याय । 24 अगस्त 2023 । सिएटल और ऑस्टिन के बीच एक किलोमीटर ऊपर आसमान में 




Wednesday, August 23, 2023

चाँद को क्या मालूम

चाँद को क्या मालूम 

आ गया है कौन सा यान

भौंचक्का वो छू के देखे

रहे मगर अनजान 


दूर से देखे और डर जाए

लाख जतन से समझ न पाए

रोवर निकला, तोते उड़ गए

और हुआ हैरान 


सोच रहा है माँगूँ वीसा 

और लगाया क्या इसने टीका

कब से निकला है ये घर से 

लेने मेरी जान


राहुल उपाध्याय । 23 अगस्त 2023 । सिएटल 


बहना याद करे

कहना रे

मेरे भैया से कहना

बहना याद करे


क्या बतलाऊँ कैसी हूँ मैं

जैसी थी मैं वैसी हूँ मैं

उससे मिलना होगा कैसे

तू जो पहुँचा आज है ऐसे

क्या मैं ऐसे आ पाऊँगी 

उससे कभी मैं मिल पाऊँगी 

कहना मुझको आस दिला जा

वो है मेरा अपना

बहना याद करे


राखी के धागे सब लाएँ 

कहना अब न राह दिखाए

माँ के नाम की कसमें देना

भेंट मेरी दे, रस्में देना

पूछना उस रूठे भाई से

भूल हुई क्या माँ-जाई से

बहन पराया धन है कहना

उसने सदा नहीं रहना

बहना याद करे 


(साहिर से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 23 अगस्त 2023 । सिएटल 

चलो चन्द्रयान चलो

चलो चन्द्रयान चलो

चाँद से बात करो

आया त्योहार कहो


जाओ ले आओ सितारों में कहीं 

एक हल्की सी मासूम हँसी 


राखी तो आती है हर साल मगर

इस बार कहो हैलो ऐ ब्रदर 


बहुत वीरान है, सूना वो नगर

करो कुछ बात, करो कुछ तो दीगर 


राहुल उपाध्याय । 23 अगस्त 2023 । सिएटल 


Tuesday, August 22, 2023

मोरा चन्द्रयान लई ले

मोरा चन्द्रयान लई ले

उसे गोद में बिठई ले

दुख सब का आज हर के

इन्हें प्यार तू दिखई दे


जब भी तुझे मैं देखूँ

अपना तुझे मैं पाऊँ 

तकते है सारे तुझको

फिर भी तुझे ही ध्याऊँ

तू बेवफ़ा नहीं है कोई 

इन सबको आज बतई दे


अपना है ख़ास रिश्ता 

सबको नहीं है दिखता

तेरी आरती मैं गाऊँ 

तुझमें है देव दिखता

रख लाज आज मोरी

इसको गले लगई ले


सदियों से तुझको देखा 

सदियों से तुझको चाहा

तू पास नहीं है लेकिन 

तुझको न दूर पाया 

चंदा तू मामा सबका

भांजे को भेंट दई दे


राहुल उपाध्याय । 22 अगस्त 2022 । सिएटल 




Monday, August 21, 2023

सारे जहां से अच्छा

सारे जहां से अच्छा 

हिन्दोस्तां हमारा

हम कह रहे हैं किसको

जब हमको ही नहीं है जँचता 


जेबें हैं ख़ाली सबकी

भरने चले कहीं भी 

वो देश कैसे अच्छा 

जो जेबें नहीं है भरता


लड़ते जहाँ हैं मज़हब

नफ़रत जहाँ की ऊर्जा 

उस देश को तजने का

हर कोई है ख़्वाब रचता


आरक्षण के आगे झुकना

डॉक्टर की लार तकना

इन सबसे हार कर के

वो फ़ॉरेन में काम करता


बच्चा-बच्चा ये चाहे

फॉरेन में घर बसाए

बस जाने पर ही सबको

चैन-ओ-करार मिलता


राहुल उपाध्याय । 22 अगस्त 2023 । सिएटल 

Sunday, August 20, 2023

गिरा हूँ मैं, मरा नहीं

गिरा हूँ मैं, मरा नहीं 

ज्वलंत हूँ, बुझा नहीं 

राह रोशन है आज भी

पथ से मैं डिगा नहीं 


मैं कौन हूँ, मैं कौन था

मुझको कुछ पता नहीं 

बात बस एक पते की है

कि किया कुछ बुरा नहीं 


गिर गया या गिराया गया

इस बहस का कोई सिला नहीं 

रोशनी भी है कहाँ मेरी

इसका कोई सिरा नहीं 


है कौन वो जो कहाँ नहीं 

जो हमसे है जुदा नहीं 

ख़ुद ही ख़ुद को ढूँढते

और कहते हैं मिला नहीं 


राहुल उपाध्याय । 20 अगस्त 2023 । सिएटल 


जहाँ हूँ मैं जन्नत अता हो रही है

तुम मेरे जीवन में आई नहीं हो 

जीवन में मेरे लाई गई हो 

मुझे क्या पता था कहाँ तुम हो ख़ुशियाँ 

सपनों में भी तुम आई नहीं हो 


करम देखता हूँ तो सोचता हूँ 

करम कहाँ ऐसे कि सुख भोगता हूँ 

मैं हूँ एक बच्चा जाता पाठशाला 

जिसे टॉफ़ी कोई दिलाई गई हो


सुबह शाम गीतों की दुनिया है ऐसी

कि कलकल करती नदिया हो वैसी 

मैं जितना भी चाहूँ उतना नहाऊँ 

गीतों की जैसे झड़ी लग गई हो


हमसफ़र न कोई, राह भी नहीं है 

जहाँ हूँ मैं जन्नत अता हो रही है 

अगर चलता भी तो हासिल न होता

जो दामन में मेरे तुम धर रही हो


राहुल उपाध्याय । 5 अप्रैल 2022 । सिएटल 

https://youtu.be/8LWkukjhI5g




Saturday, August 19, 2023

इतवारी पहेली: 2023/08/20


इतवारी पहेली:


मरूस्थल में बरसे ## #

गुलज़ार की बेटी है ###


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 27 अगस्त 2023 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 20 अगस्त 2023 । सिएटल