चाँद के पास जो उतारा है
वो हमारा भी कुछ लगता है
सुबह हो शाम हो पहर कोई
सदा ही ध्यान उसका रहता है
जबसे आँखों से हो गया ओझल
मन में क्या-क्या ख़याल आते हैं
जाने किस हाल में वो होगा अब
मन में डर सा ही लगा रहता है
भेजा था सोच के समझ के ही
खोजेगा बातें कुछ नई कोई
फिर भी ये दिल तो मेरा दिल ही है
बिना ही बात कल से डरता है
आता-जाता भी तो नहीं कोई
जिसके हाथों मैं भेज दूँ लड्डू
सुना है रात-दिन जग-जग के
घंटों-घंटों वो काम करता है
राहुल उपाध्याय । 29 अगस्त 2023 । ऑस्टिन
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