Tuesday, August 1, 2023

अब तक है जो भी गुज़रा

अब तक है जो भी गुज़रा 

गुज़रा नहीं वो अच्छा 

अब हम क्या गाए 

जब-जब भी मुड़ के देखा

कोई मिला न अपना

अब हम क्या गाए 


जलता नहीं था कोई 

जलने लगा ज़माना 

पढ़-लिख के जबसे हमने

घर-बार है बसाया

जलते हैं आज जो भी 

वो हैं नहीं पराए


अपनों की लार देखी

अपनों ने दूर भगाया

चाहा जिसे, न समझा

उसने भी हाथ हटाया

टुकड़ों में दफ़्न हुए हम

अपनों ने गुर दिखाए


लुट कर भी आज हम तो

चलते हैं राह अपनी

जिस-जिसने ठोकरें दीं

उनसे हैं राह बदली

तन्हाईयों से डर के

हमने न साथ निभाए


राहुल उपाध्याय । 1 अगस्त 2023 । सिएटल 






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