मैं तुम्हें नापता हूँ ऐसे
लेने वाला कोई
ले रहा हो कुर्सियाँ जैसे
घर लाऊँ अगर तुमको क्या हो
कहीं दिल ना दुखे
कि ले आया मैं किसको कहाँ से
है बैठक बिन कुर्सी अधूरी
पर आए न फिट
पछताऊँ न इसको मैं पा के
कैसे कर लूँ मैं इस पे भरोसा
कल को बदले अगर
रंग पीले से हो जाए भूरा
राहुल उपाध्याय । 16 अगस्त 2023 । सिएटल
2 comments:
जबरदस्त
आभार
सादर
वाह
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