Friday, August 11, 2023

तेरे कहने से कब्र नहीं खुदती

तेरे कहने से कब्र नहीं खुदती

मर जाए हम ना सोचें 

तेरे जाने से उम्र नहीं धटती 

मर जाए हम ना सोचें 


बिछड़े जतन कर संगदिल राहों से

दूर हुए आज हम पैनी निगाहों से

किया करते हैं आज हम मस्ती 

मर जाए हम ना सोचें 


झगड़ों का शोर नहीं मस्ती का दौर है

निस दिन रात प्यारी नर्गिसी भोर है

लगे दुनिया ही आज बसंती

मर जाए हम ना सोचें 


बरसों से खोया हुआ सुख आज पाया है 

दूर हुए दुख सारे, सुख आज छाया है

हर पल इक आस है जगती

मर जाए हम ना सोचें 


राहुल उपाध्याय । 11 अगस्त 2023 । सिएटल 


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