तेरे कहने से कब्र नहीं खुदती
मर जाए हम ना सोचें
तेरे जाने से उम्र नहीं धटती
मर जाए हम ना सोचें
बिछड़े जतन कर संगदिल राहों से
दूर हुए आज हम पैनी निगाहों से
किया करते हैं आज हम मस्ती
मर जाए हम ना सोचें
झगड़ों का शोर नहीं मस्ती का दौर है
निस दिन रात प्यारी नर्गिसी भोर है
लगे दुनिया ही आज बसंती
मर जाए हम ना सोचें
बरसों से खोया हुआ सुख आज पाया है
दूर हुए दुख सारे, सुख आज छाया है
हर पल इक आस है जगती
मर जाए हम ना सोचें
राहुल उपाध्याय । 11 अगस्त 2023 । सिएटल
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वाह
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