Tuesday, August 29, 2023

बिन प्रजा का राजा

तेरे दर से उठ कर किधर जाऊँ मैं

गई बैटरी दो पग न धर पाऊँ मैं


जन्मा था जिसने, पाला था जिसने

बिछड़ कर उससे न रह पाऊँ मैं


निकला था गर्व से, उत्साह से

यहाँ आ के दिन-रात पछताऊँ मैं


आँखों में सबकी भरा प्यार था

दुत्कारा नहीं, ख़ुद को समझाऊँ मैं


न गाँव, न गली, न मोहल्ला है कोई 

बिन प्रजा का राजा मुरझाऊँ मैं


राहुल उपाध्याय । 29 अगस्त 2023 । सिएटल 

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