तेरे दर से उठ कर किधर जाऊँ मैं
गई बैटरी दो पग न धर पाऊँ मैं
जन्मा था जिसने, पाला था जिसने
बिछड़ कर उससे न रह पाऊँ मैं
निकला था गर्व से, उत्साह से
यहाँ आ के दिन-रात पछताऊँ मैं
आँखों में सबकी भरा प्यार था
दुत्कारा नहीं, ख़ुद को समझाऊँ मैं
न गाँव, न गली, न मोहल्ला है कोई
बिन प्रजा का राजा मुरझाऊँ मैं
राहुल उपाध्याय । 29 अगस्त 2023 । सिएटल
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