सारे जहां से अच्छा
हिन्दोस्तां हमारा
हम कह रहे हैं किसको
जब हमको ही नहीं है जँचता
जेबें हैं ख़ाली सबकी
भरने चले कहीं भी
वो देश कैसे अच्छा
जो जेबें नहीं है भरता
लड़ते जहाँ हैं मज़हब
नफ़रत जहाँ की ऊर्जा
उस देश को तजने का
हर कोई है ख़्वाब रचता
आरक्षण के आगे झुकना
डॉक्टर की लार तकना
इन सबसे हार कर के
वो फ़ॉरेन में काम करता
बच्चा-बच्चा ये चाहे
फॉरेन में घर बसाए
बस जाने पर ही सबको
चैन-ओ-करार मिलता
राहुल उपाध्याय । 22 अगस्त 2023 । सिएटल
1 comments:
हा हा :) :(
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