मैं तुम्हारा अपना खून होता
तो तुम कभी ऐसा नहीं करते
तुम इतने निर्दयी हो सकते हो
यह मैं सोच भी नहीं सकता था
तुमने इतना भी नहीं सोचा कि
मैं वापस कैसे आऊँगा?
अनन्त काल तक यहाँ सड़ने के लिए छोड़ दिया
किससे बात करूँ?
और तो और यहाँ मैं चीख तक नहीं सकता
जब तक मेरा एक दिन गुजरेगा
तब तक तुम पन्द्रह नींद निकाल चुके होगे
जब मैं यहाँ उतर रहा था तब
सब टकटकी बाँधे देख रहे थे
कहीं मुझे चोट न आ जाए
हाथ जोड़ रहे थे
प्रार्थना कर रहे थे
कहीं मैं ध्वस्त न हो जाऊँ
इसलिए नहीं कि
उन्हें मेरी चिंता थी
उन्हें चिन्ता थी
अपनी सफलता की
अपनी इज़्ज़त की
मैं सोच भी नहीं सकता था कि
तुम मुझे इतनी दूर फेंक कर
इतने नीचे गिर जाओगे
हाड़-मांस के पुतले के अवशेष भी
तुम दूर-दराज़ से लाते हो
उन्हें उचित सम्मान देते हो
अस्थि विसर्जन करते हो
मेरा क्या होगा
कभी सोचा?
कोई मुझे बटोरने आएगा?
क्या मैं इतना अभागा हूँ?
राहुल उपाध्याय । 28 अगस्त 2023 । ऑस्टिन
1 comments:
सही फर्माया
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