Tuesday, January 14, 2025

क्या बताए ये क्या ज़माना है

क्या बताए ये क्या ज़माना है

उसने दिल से मुझे निकाला है


मैं क्यूँ ख़ुशगवार हूँ इतना

हँसते-हँसते ये दिन बिताया है


मुझको उससे है प्यार क्यूँ आख़िर

बेवफ़ाई का जो पिटारा है


चलते-चलते ये मोड़ भी आया 

आईना ही न मुझको भाया है


किस ज़बां से कहूँ शुक्रिया उसको

टूटकर जिसने मुझको चाहा है


राहुल उपाध्याय । 14 जनवरी 2025 । सिएटल 






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