क्या बताए ये क्या ज़माना है
उसने दिल से मुझे निकाला है
मैं क्यूँ ख़ुशगवार हूँ इतना
हँसते-हँसते ये दिन बिताया है
मुझको उससे है प्यार क्यूँ आख़िर
बेवफ़ाई का जो पिटारा है
चलते-चलते ये मोड़ भी आया
आईना ही न मुझको भाया है
किस ज़बां से कहूँ शुक्रिया उसको
टूटकर जिसने मुझको चाहा है
राहुल उपाध्याय । 14 जनवरी 2025 । सिएटल
0 comments:
Post a Comment