वह रात-बेरात
जग जाती है
उठ जाती है
पढ़ लेती है मेरी कविता
कहने को कह देती है कि
भूख लगी थी
सो उठ गई
रात खाना नहीं खाया था
थक गई थी
पहले वह मेरी कविताएँ पसंद करती थी
फिर मुझे पसंद करने लगी
अब शायद प्यार करती है
राहुल उपाध्याय । 18 जनवरी 2025 । सिएटल
वह रात-बेरात
जग जाती है
उठ जाती है
पढ़ लेती है मेरी कविता
कहने को कह देती है कि
भूख लगी थी
सो उठ गई
रात खाना नहीं खाया था
थक गई थी
पहले वह मेरी कविताएँ पसंद करती थी
फिर मुझे पसंद करने लगी
अब शायद प्यार करती है
राहुल उपाध्याय । 18 जनवरी 2025 । सिएटल
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