भूल गए हम भूलना क्या था
याद रहा बस याद दिलाना
चलते-फिरते मौसम हो तुम
रंग बदलता कौन है इतना
हाथों में जब हाथ नहीं हैं
कौन कहेगा है मेल हमारा
सात हैं दिन और सातों नामी
रातों का तुम नाम बताना
सागर गहरा, खारा पानी
बादल चंचल, प्यास बुझाता
राहुल उपाध्याय । 16 जनवरी 2025 । सिएटल
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