Thursday, January 16, 2025

भूल गए हम भूलना क्या था

भूल गए हम भूलना क्या था

याद रहा बस याद दिलाना


चलते-फिरते मौसम हो तुम

रंग बदलता कौन है इतना


हाथों में जब हाथ नहीं हैं

कौन कहेगा है मेल हमारा


सात हैं दिन और सातों नामी

रातों का तुम नाम बताना


सागर गहरा, खारा पानी

बादल चंचल, प्यास बुझाता


राहुल उपाध्याय । 16 जनवरी 2025 । सिएटल 


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