Saturday, January 18, 2025

तेरा-मेरी रिश्ता है ऐसा

तेरा-मेरा रिश्ता है ऐसा

जैसे सूरज-चाँद का फेरा


तू न हो तो मैं भी नहीं 

तुझसे ही तो है नूर मेरा


मिल के भी हम मिलते कहाँ है

व्यास हमारा जैसे का तैसा


कटते-कटते ही कटेगी ज़िन्दगी 

चार दिनों का न ये रैन बसेरा 


कोई पूछे हमसे तो न समझे

के दर्द ने हमें कितना है घेरा


राहुल उपाध्याय । 18 जनवरी 2025 । सिएटल 







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