मैं और मेरा फ़ोन
अक्सर ये बात करते हैं
कि वाईफ़ाई न होता तो
क्या ही होता
न कोई कॉल ही आती
न कोई वीडियो में दिखता
तन्हा-तन्हा मैं मायूस होता
वो लड़की जो मुझे चाहती नहीं है
दस बार फ़ोन कर
सौ बार रोती
किससे पूछूँ
किसे बताऊँ
हाल मैं अपना किसे सुनाऊँ
ये रिश्ते सारे
वाईफ़ाई से क्यूँ हैं?
हैं तो कोई क़ीमत नहीं है
हैं नहीं तो कोई ज़िंदगी नहीं है
राहुल उपाध्याय । 15 जनवरी 2025 । सिएटल
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