जबसे 🤦♀️ का
मतलब समझ में आया
ज़िन्दगी गुलज़ार है
बागों में बहार है
मैं अनाड़ी न होता
वह क़ायल न होती
उसकी हँसी पे मैं
घायल न होता
राहुल उपाध्याय । 17 जनवरी 2025 । सिएटल
जबसे 🤦♀️ का
मतलब समझ में आया
ज़िन्दगी गुलज़ार है
बागों में बहार है
मैं अनाड़ी न होता
वह क़ायल न होती
उसकी हँसी पे मैं
घायल न होता
राहुल उपाध्याय । 17 जनवरी 2025 । सिएटल
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