Monday, January 27, 2025

एक को तड़पा रही हो

एक को तड़पा रही हो

एक को तरसा रही हो

साड़ी पहन कर क्यों 

ग़ज़ब ढा रही हो


कत्ल किया तो किया

वो ठीक था मगर

ये रोज़-रोज़ क्यों 

किए जा रही हो


एक तो चोरी 

ऊपर से सीनाज़ोरी 

ये नए उसूल 

क्यों अपना रही हो


मजबूरी है उनकी कि

तुम्हें छोड़ नहीं रहे हैं 

और तुम हो कि नग़मे 

सुर में गा रही हो


आशिक़ी की हवा

ऐसी लगी तुमको

के कान्हा की बंसी

तुम बजा रही हो 


राहुल उपाध्याय । 27 जनवरी 2025 । सिएटल 





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