आँखों में मेरी कोई नहीं है
साँसों में मेरी बसती है राधा
मिलती है तो जैसे हूर है वो
जाने पे उसके बचता हूँ आधा
न बंधन कोई, न अनुबंध कोई
सीधा-सच्चा रिश्ता है सादा
वो गाहे-बगाहे मुझे याद करे
न चाहिए कुछ इससे ज़्यादा
बेवफ़ाई का हक़ है सबको लेकिन
मुझसे न करे वो फिर दोबारा
राहुल उपाध्याय । 19 जनवरी 2025 । सिएटल
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