Sunday, January 19, 2025

आँखों में मेरी कोई नहीं है

आँखों में मेरी कोई नहीं है

साँसों में मेरी बसती है राधा


मिलती है तो जैसे हूर है वो

जाने पे उसके बचता हूँ आधा


न बंधन कोई, न अनुबंध कोई 

सीधा-सच्चा रिश्ता है सादा


वो गाहे-बगाहे मुझे याद करे

न चाहिए कुछ इससे ज़्यादा 


बेवफ़ाई का हक़ है सबको लेकिन 

मुझसे न करे वो फिर दोबारा 


राहुल उपाध्याय । 19 जनवरी 2025 । सिएटल 



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