Saturday, January 18, 2025

बेवफ़ा को तूने हुस्न दिया है

बेवफ़ा को तूने हुस्न दिया है 

बता तुझे क्या-क्या मिला है 


जन्नत और आँसू, ग़म और ख़ुशी 

इनके सिवा और क्या मिला है


दोज़ख़ में है तू, मैं हिज्र का मारा

बता तुझे और क्या मिला है 


न कविता ये मेरी, न ग़ज़ल है कोई

जो भी जोड़ा, बिखरा मिला है 


बेवफ़ा तू क़ातिल शातिर है इतनी 

के जो भी मरा, ज़िन्दा मिला है 


राहुल उपाध्याय । 18 जनवरी 2025 । सिएटल 



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