आई बसंत
जागा जाड़ा
बर्फ़ बिछा के
जोर से दहाड़ा
'गर दिन है तुम्हारा
तो रात है मेरी
सुबह दस बजे तक रहेगी
हुकुमत मेरी
उसके बाद
जो मन में आए वो करना
ट्यूलिप उगाना
क्यारियाँ सजाना
वसंत के वसंती
रंगों में घुलना
शाम को देर तक
सैर-सपाटे करना
रात-रात भर
उल्लू सा जगना
सुबह पाँच बजे ही
सूरज से मिलना
लेकिन समय बदलता है
और बदलोगे तुम
थोड़े ही दिनों में
ऊब जाओगे तुम
गर्मी की गर्मी में
झुलस जाओगे तुम
वापस मुझे बुलाओगे तुम
सफ़ेदी के सपने सजाओगे तुम
बच्चों को कॉलेज से बुलाओगे तुम
मफ़लर-स्वेटर दिलाओगे तुम
फ़ायर-प्लेस के पास अलख जगाओगे तुम
परिवार के एक-दूसरे से जुड़ पाओगे तुम
जाते हुए मौसम की एक बात याद रखना
हर वक़्त हर किसी को अतिथि समझना
जो आज है कल उसका होना तय तो नहीं
हर कोई होता मौसम तो नहीं
20 मार्च 2014
सिएटल । 513-341-6798
http://m.almanac.com/content/first-day-spring-vernal-equinox
जागा जाड़ा
बर्फ़ बिछा के
जोर से दहाड़ा
'गर दिन है तुम्हारा
तो रात है मेरी
सुबह दस बजे तक रहेगी
हुकुमत मेरी
उसके बाद
जो मन में आए वो करना
ट्यूलिप उगाना
क्यारियाँ सजाना
वसंत के वसंती
रंगों में घुलना
शाम को देर तक
सैर-सपाटे करना
रात-रात भर
उल्लू सा जगना
सुबह पाँच बजे ही
सूरज से मिलना
लेकिन समय बदलता है
और बदलोगे तुम
थोड़े ही दिनों में
ऊब जाओगे तुम
गर्मी की गर्मी में
झुलस जाओगे तुम
वापस मुझे बुलाओगे तुम
सफ़ेदी के सपने सजाओगे तुम
बच्चों को कॉलेज से बुलाओगे तुम
मफ़लर-स्वेटर दिलाओगे तुम
फ़ायर-प्लेस के पास अलख जगाओगे तुम
परिवार के एक-दूसरे से जुड़ पाओगे तुम
जाते हुए मौसम की एक बात याद रखना
हर वक़्त हर किसी को अतिथि समझना
जो आज है कल उसका होना तय तो नहीं
हर कोई होता मौसम तो नहीं
20 मार्च 2014
सिएटल । 513-341-6798
http://m.almanac.com/content/first-day-spring-vernal-equinox
2 comments:
Very nice. Impermanence is the rule.
"आयी बसंत" के दो parts होना बढ़िया लगा! Part 2 की last lines बहुत ही meaningful हैं।
"जाते हुए शरद की एक बात याद रखना
हर वक़्त हर किसी को अतिथि समझना
जो आज है कल उसका होना तय तो नहीं
हर कोई होता शरद तो नहीं"
किसी का सदा साथ होना या मौसम की तरह लौट सकना ज़रूरी नहीं है - इसलिए हर पल जो साथ है, खुशी से बिताना चाहिए। "आने वाला पल जाने वाला है, हो सके तो इसमें ज़िंदगी बितादो पल जो यह जाने वाला है..."
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