हम दीप जलाते थे
अब कैंडल बुझाते हैं
हैं पश्चिम के इतने दीवाने
कि सूर्योदय नहीं, सूर्यास्त सुहाते हैं
पहले गाते थे, बजाते थे
ढोल-नगाड़े, करताल-मंजीरे
कहीं न कहीं सुनाई दे जाते थे
और अब?
कान में लगे दो तार
लगातार बड़बड़ाते हैं
पहले पैदल जाते थे
पैदल आते थे
बोझा-सौदा भी साथ ले आते थे
और अब?
मशीनी जीवन में
मशीनें इतनी हावी हैं कि
कार से जाते हैं
कार से आते हैं
और बेकार में तोंद बढ़ाते हैं
और फिर उसी तोंद को कम करने के चक्कर में
मशीन पर चढ़ जाते हैं
उस पर लगी 4 फ़ीट की पट्टी पर
बेतहाशा दौड़ते जाते हैं
न कहीं आते हैं
न कहीं जाते हैं
वहीं के वहीं रह जाते हैं
और वातानूकुलित कमरे में
पसीने बहाने के सपने सजाते हैं
20 जुलाई 2014
सिएटल । 513-341-6798
अब कैंडल बुझाते हैं
हैं पश्चिम के इतने दीवाने
कि सूर्योदय नहीं, सूर्यास्त सुहाते हैं
पहले गाते थे, बजाते थे
ढोल-नगाड़े, करताल-मंजीरे
कहीं न कहीं सुनाई दे जाते थे
और अब?
कान में लगे दो तार
लगातार बड़बड़ाते हैं
पहले पैदल जाते थे
पैदल आते थे
बोझा-सौदा भी साथ ले आते थे
और अब?
मशीनी जीवन में
मशीनें इतनी हावी हैं कि
कार से जाते हैं
कार से आते हैं
और बेकार में तोंद बढ़ाते हैं
और फिर उसी तोंद को कम करने के चक्कर में
मशीन पर चढ़ जाते हैं
उस पर लगी 4 फ़ीट की पट्टी पर
बेतहाशा दौड़ते जाते हैं
न कहीं आते हैं
न कहीं जाते हैं
वहीं के वहीं रह जाते हैं
और वातानूकुलित कमरे में
पसीने बहाने के सपने सजाते हैं
20 जुलाई 2014
सिएटल । 513-341-6798
1 comments:
"हैं पश्चिम के इतने दीवाने
कि सूर्योदय नहीं, सूर्यास्त सुहाते हैं"
So true!
दिन की भाग-दौड़ car से करने के बाद शरीर को हम treadmill पर दौड़ाते हैं, पहाड़ भी treadmill पर ही चढ़ते हैं, sauna या hot yoga की heat को सूरज की गर्मी मानकर पसीना बहाते हैं, सबज़ियों और फलों की जगह multi-vitamin की गोली खाते हैं। और जब दिन ढलता है तो हम "relax" करते हैं और इस मशीनी जीवन की तेज़ रफ्तार की शिकायत कतते हुए सो जाते हैं। यह जीना भी कोई जीना है लल्लू? :)
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