Wednesday, July 16, 2014

Middle East में खून-खराबा और Goetze का गोल

ज़िंदगी हसीन हो
पर इतनी भी नहीं
कि तुम रोओ
और मैं हँसूँ
बम फटे
और मैं नाचूँ

कितना आसां है
चैनल बदल कर
मूड बदल लेना

ज़िंदगी हसीन हो
पर इतनी भी नहीं
कि मेरे रिमोट के हाथों में
मेरी ज़िंदगी हो

16 जुलाई 2014
सिएटल । 513-341-6798

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1 comments:

Anonymous said...

जो दुःख दिल के करीब होता है वो कितने भी channel change करने से दूर नहीं होता। जिस दुःख से हमारा पल भर का connection होता है वो channel बदलते ही भूल जाता है।

सच तो यही है कि हमारा mood कोई remote ही decide करता है - कभी office में manager या coworker, कभी दुकान का कोई salesperson, कभी घर में काम करने वाला कोई contractor, और कभी कोई दोस्त या अपना। आपने सही कहा कि ज़िन्दगी एक remote के हाथ में नहीं होनी चाहिए।