Thursday, July 24, 2014

bug है cloud में

पत्ते झड़ रहे हैं
तापमान गिर रहा है
स्वेटर जो पैक थे
निकलने लगे हैं
ये बे-वक़्त की सर्दी
शायद रास्ता भूल गई है
जाना था सिडनी
सिएटल पहुँच गई है


इससे पहले कि मैं दरवाज़ा जड़ूँ
बिन बुलाए अतिथि का अपमान करूँ

कोई है कहीं तो
इसकी GPS सही कराओ
कोई App-वैप हो तो उसे
download कराओ
और 'गर bug है cloud में
तो Dev को बुलाओ
जिसने बनाया
उसी से fix कराओ

24 जुलाई 2014
सिएटल । 513-341-6798

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


1 comments:

Anonymous said...

"Bug है cloud में" - title बढ़िया है! :) यह lines बहुत funny हैं :

"इसकी GPS सही कराओ
कोई App-वैप हो तो उसे
download कराओ
और 'गर bug है cloud में
तो Dev को बुलाओ
जिसने बनाया
उसी से fix कराओ"

आजकल की technology - app, gps - के शब्दों का use मज़ेदार है! Dev जी को बुलाने की बात पर बहुत हँसी आयी! :)

मुझे लगता है कि बिन मौसम की बरसात हमें याद दिलाती है कि समय कभी एक सा नहीं रहता। सुख का मौसम किसी दिन बदल सकता है और दुख का अंधेरा भी किसी दिन हट सकता है। हर हाल में खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए।