वो भी है क्यूँकि वो स-माया है
जब, जहाँ, जिसने जो भी कमाया है
कहते हैं अंत समय काम कम आया है
अपना-अपना मार्ग है, अपना-अपना लक्ष्य है
कब, कहाँ, किसने किसको अपनाया है?
आते-जाते रहो, जान-पहचान बनी रहेगी
जी-पी-एस हो लाख अच्छा, अच्छों-अच्छों को भरमाया है
बदलने की प्रक्रिया को कौन बदल पाया है
(स-माया = माया के साथ, जैसे सपरिवार, सपत्नी आदि)
मार्च 2016
सिएटल । 425-445-0827
2 comments:
कविता में creativity बहुत अच्छी है। कम शब्दों में और word play के साथ अपनी बात कहना कठिन होता है। "समाया, स-माया, कमाया, काम कम आया, अपना, अपनाया" - शब्दों का खेल अच्छा है। कविता की lines बढ़िया हैं और बहुत गहरी बातें कहती हैं।
सुनकर अच्छा लगा।
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