Tuesday, March 15, 2016

वो जो हममें-तुममें समाया है


वो जो हममें-तुममें समाया है
वो भी है क्यूँकि वो स-माया है

जब, जहाँ, जिसने जो भी कमाया है
कहते हैं अंत समय काम कम आया है

अपना-अपना मार्ग है, अपना-अपना लक्ष्य है
कब, कहाँ, किसने किसको अपनाया है?

आते-जाते रहो, जान-पहचान बनी रहेगी
जी-पी-एस हो लाख अच्छा, अच्छों-अच्छों को भरमाया है

शक्ल, अक़्ल, लहजा - सब बदल जाता है
बदलने की प्रक्रिया को कौन बदल पाया है

(स-माया = माया के साथ, जैसे सपरिवार, सपत्नी आदि)
मार्च 2016
सिएटल । 425-445-0827

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


2 comments:

Anonymous said...

कविता में creativity बहुत अच्छी है। कम शब्दों में और word play के साथ अपनी बात कहना कठिन होता है। "समाया, स-माया, कमाया, काम कम आया, अपना, अपनाया" - शब्दों का खेल अच्छा है। कविता की lines बढ़िया हैं और बहुत गहरी बातें कहती हैं।

Rahul Upadhyaya said...

सुनकर अच्छा लगा। ​