पहले अपने हाथों में
अपना भविष्य होता था
आजकल 'ब्रैन' है
जो खो जाए कहीं
तो हो जाते बेचैन है
अपनों के
नम्बर, जन्मदिन
कुछ भी याद नहीं हैं
गली, मोहल्ला, शहर तो दूर
प्रांत, देश तक भी ज्ञात नहीं हैं
मुम्बई वाला देहरादून में है
हांगकांग वाला थाईलैण्ड में
प्रीतमपुर वाला गांधीनगर में है
दिल्ली वाला शिलांग में
और किसी को कानों-कान ख़बर नहीं
हज़ारों आँकड़े
इधर से उधर करते रहते हैं
लेकिन अपने बारे में
दो-चार पंक्तियाँ लिखने से कतराते हैं
हम अनपढ़ नहीं
हम अनलिख हैं
सात समंदर
दशावतार
दुर्गा के नवरूप
दुनिया के सात अजूबे
सब की विस्तृत जानकारी
सबको देते जाते हैं
लेकिन पलट के कोई पूछ ले
तो बग़लें झाँकने लगते हैं
पहले ज्ञानी वो होता था
जिसे ज्ञान हो
आजकल वो
जो भेजे
चाहे उसके ख़ुद के भेजे में कुछ गया न हो
पहले अनपढ़ अँगूठा लगाते थे
आजकल पढ़े-लिखे
लिखने के बजाय
अँगूठा दिखाने में
बुद्धिमानी समझते हैं
(वो क्या है ना, समय बच जाता है)
और वो भी स्मार्टफ़ोन पर
हम अनपढ़ नहीं
हम अनलिख है
और कभी-कभार
कुछ लिख भी दिया
तो आधे-अधूरे शब्द
भाषा खिचड़ी
और लिपि शुद्ध रोमन
देवनागरी पढ़ सकते हैं
लेकिन लिखने में हज़ारों कष्ट
हम अनपढ़ नहीं
हम अनलिख है
23 जून 2016
लेब्राडोर समंदर के 39000 फ़ीट उपर
Http://tinyurl.com/rahulpoems
मैं 25 जून से 6 जुलाई तक दिल्ली में हूँ। इस बीच 2 दिन मुम्बई में - 2 और 3 जुलाई।
सम्पर्क : +91 88004 20323
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