जब तक न हो
ख़ून से हाथ रंगे
सिंहासन नसीब नहीं होते
न राम, न कृष्ण, न देव कोई
कभी पूजनीय नहीं होते
यदि विषमताएँ
हमें होतीं अप्रिय
तो कृष्ण अमीर
और सुदामा ग़रीब नहीं होते
भेदभाव जो है
है वो सदियों से
वरना राम के होते
भरत मनोनीत नहीं होते
नाहक ही हुआ
कलयुग बदनाम यहाँ
किस युग में
छल-कपटी जीव नहीं होते
ऐसा भी नहीं कि
जो होता आया वही आगे होगा
पर हाथ पे हाथ धरे रहने से तो
हालात तब्दील नहीं होते
27 जून 2016
दिल्ली । +91 88004 20323
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