किनारे दूर ही रहे
तो अच्छा लगता है
दरिया जिसका नाम है
वो बहता रहता है
आते-जाते राह में
फूल-शूल भी आएँगे
क़ुदरत का ये खेल निराला
चलता रहता है
बातों ही बातों में मीत
बन तो जाएँगे
पर दिल का रिश्ता
दिलवालों से ही मिल के बनता है
चाँद घटा है, चाँद बढ़ा है
सब नज़रों का धोखा है
अपना-अपना दृष्टिकोण सबको
छलता रहता है
अपनी-अपनी सीमाएँ सबकी
अपना-अपना #Brexit
कहने को सब इन्सान हैं लेकिन
फ़र्क़ बढ़ता रहता है
24 जून 2016
अम्स्टरडम एयरपोर्ट
Http://tinyurl.com/rahulpoems
मैं 25 जून से 6 जुलाई तक दिल्ली में हूँ। इस बीच 2 दिन मुम्बई में - 2 और 3 जुलाई।
सम्पर्क : +91 88004 20323
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